थायरॉइड एक गंभीर समस्या है जो शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। होम्योपैथी एक प्राकृतिक उपचार है जो थायरॉइड के इलाज में मदद कर सकता है। यह दवाओं के उपयोग के बिना शरीर के अनुभव के आधार पर काम करता है। इस लेख में, हम आपको बताएँगे कि होम्योपैथी द्वारा थायरॉइड की समस्याओं से कैसे निजात पाया जा सकता है।
- थायरॉइड के लक्षणों की पहचान करें होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले, आपको थायरॉइड के लक्षणों को समझना जरूरी है। ये लक्षण व्यक्ति के उम्र, जीवन शैली और थायरॉइड की समस्या के अनुसार भिन्न होते हैं। इसलिए, अपने डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा होगा।
- उपचार के लिए अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क करें होम्योपैथी दवाओं का इस्तेमाल करने से पहले, आपको अनुभवी होम्योपैथिक चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
थायरॉइड ग्लैंड क्या है
प्रत्येक मनुष्य के गले के सामने के भाग में तितली के आकर की एक ग्रंथि होती है, जिसे थायरॉइड ग्लैंड कहते हैं। इससे हॉर्मोंस स्त्रवण होते हैं। TSH, or thyroid-stimulating hormone, is produced when the hormones T3 (triiodothyronine) and T4 (thyroxine) interact. T3 और T4 शरीर में ऑक्सिजन के उपयोग की मात्रा को बढ़ाते हैं। (Cacitonin) – – – – यह शरीर में कैल्शियम और फास्फेट को नियंत्रित करता है। ये हार्मोन्स शरीर में बहुत सी क्रियायों को नियंत्रित करते हैं जैसे ग्रोथ, डेवलपमेंट, मेटाबॉलिजम, शरीर के तापमान को नियंत्रित करना आदि।
थायरॉइड डिजीज के प्रकार
1) घेंघा (Goiter)- यह शरीर में आयोडीन की कमी से होने वाला रोग है, इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन आ जाती है।
2) हाइपरथायरॉडिज्म (Hyperthyrodism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का बहुत ज्यादा स्त्राव होता है।
3) हाइपोथायरॉडिज्म (Hypothyroidism)- इसमें थायरॉइड हॉर्मोन का स्त्राव कम होता है।
4) ग्रेव्स डिजीज (Graves disease)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत ज्यादा उत्तेजित (over stimulated) हो जाते हैं।
5) थायरॉडाईटिस (Thyroditis)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में सूजन और जलन के कारण दर्द होता है।
6) थायरॉइड कैंसर (Thyroid Cancer)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड का कैंसर हो जाता है।
7) थायरॉइड नोड्यूल(Thyroid Nodule)- इसमें थायरॉइड ग्लैंड में गांठ (lump)हो जाती हैं।
थायरॉइड के कारणः
थायरॉइड की समस्या दिन-प्रतिदिन लोगों में बढ़ती जा रही है। इसके कई कारण हैं जैसे-
1) हॉर्मोन्स की गड़बड़ी।
2) शरीर में आयोडीन की मात्रा सही होने के बाद भी नमक के माध्यम से शरीर में अतिरिक्त आयोडीन जाना।
3) किसी दवाई के साइड इफ़ेक्ट के कारण।
लक्षणः
· कब्ज होना, डिप्रेशन होना, शरीर का तापमान बढ़ना, भूख ज्यादा लगना, हाथों में कंपन होना, पसीना ज्यादा आना, बाल सफ़ेद होना व झड़ना, थकान होना, चिड़चिड़ाहट होना, खुजली होना, सांस लेने में तकलीफ होना, नर्वस होना, धड़कन बढ़ना या कम होना, वजन बढ़ना, ठंड व रोशनी सहन न हो, उच्च रक्तचाप, त्वचा रूखी होना, नींद की समस्या होना, चेहरे पर सूजन रहना,जोड़ों में दर्द, अकड़न और सूजन, महिलाओं में पीरियड्स से संबंधित तकलीफ होना
नोट- (होम्योपैथी में रोग के कारण को दूर करके रोगी को ठीक किया जाता है। प्रत्येक रोगी की दवा उसकी शारीरिक और मानसिक अवस्था के अनुसार अलग-अलग होती है। अतः बिना चिकित्सकीय परामर्श किसी भी दवा का उपयोग न करें। रोग और होम्योपैथी दवा के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप डॉ. रजत जोशी से परामर्श ले सकते हैं। )